Sourav Ganguly was the leader India needed in the early 2000s. A team which had been hit with match-fixing, a nation with head held low, and amidst all, the game which is pious to many stood ravaged. Sourav Ganguly not only revamped the entire team but instilled a sense of pride in the way we watched cricket. Under his leadership, India went on to beat Australia in Test series in 2001, beat England at Lord’s to win 2002 Natwest Trophy, reached 2003 ODI World Cup final, drew against England in Test series in 2004, and even defeated Pakistan in a Test series in 2005.
इंसान फैसले की वजह से महान बनता है. जितना बड़ा रिस्क लेंगे उतने बड़े आप कहलाएंगे. आपका कद बढ़ेगा. पर हर किसी में बड़े फैसले और रिस्क लेने की हिम्मत नहीं होती है. जहां तक क्रिकेट की बात किया जाए तो कोई भी कप्तान अपने फैसले की वजह से महान बनता है. अगर आप अहम फैसले नहीं ले सकते हैं तो फिर बेहतर कप्तान साबित नहीं हो सकते. उदाहरण के तौर पर सौरव गांगुली और एमएस धोनी. दोनों ऐसे कप्तान हुए जो अहम मौके पर बड़ा रिस्क लेने से पीछे नहीं हटे. इसलिए, महान कप्तान कहलाए. आज आठ जुलाई है और दादा का जन्मदिन है. इसी मौके पर आज हमको बताने जा रहे हैं सौरव गांगुली के वो तीन बड़े फैसले जिसकी वजह से वो क्रिकेट के दादा बने.
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